Delhi News: स्वीडन में रहने वाले भारतीय मूल के प्रोफेसर अशोक स्वैन को दिल्ली हाईकर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने अशोक स्वैन का ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड रद्द करने के केंद्र सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया. जस्टिस सचिन दत्ता की सिंगल की बेंच ने केंद्र सरकार के 30 जुलाई 2023 के आदेश को बिना किसी ठोस कारण जारी करना माना. स्वीडन की उप्पसाला यूनिवर्सिटी में शांति और संघर्ष अनुसंधान विभाग के प्रमुख अशोक स्वैन ने दिल्ली हाईकोर्ट से ओसीआई कार्ड बहाली की मांग की थी.
याचिका में भारत सरकार के फैसले पर सवाल उठाए गए थे. स्वैन का कहना था कि पिछले तीन वर्षों से भारत नहीं आ सके हैं. याचिका में 78 वर्षीय मां की गंभीर बीमारी और इकलौते बेटे की देखभाल का हवाला दिया गया था. याचिकाकर्ता पर सरकार ने भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया था. हाईकोर्ट ने पाया कि किसी भी ट्वीट, लेख या बयान से स्वैन की आपत्तिजनक गतिविधि साबित नहीं हो सकी है. याचिका में कहा गया कि सरकार की नीतियों की आलोचना भड़काऊ भाषण या भारत विरोधी गतिविधि के समान नहीं हो सकती.
OCI कार्ड रद्द करने का आदेश निरस्त
गौरतलब है कि इससे पहले भी केंद्र सरकार ने 8 फरवरी 2022 को स्वैन का ओसीआई कार्ड रद्द कर दिया था. 10 जुलाई 2023 को हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को रद्द करते हुए बिना पर्याप्त कारण वाला बताया था. अदालत ने निर्देश दिया था कि तीन हफ्ते के भीतर विस्तृत आदेश पारित किया जाए.
हाईकोर्ट से केंद्र सरकार को झटका
केंद्र सरकार ने 30 जुलाई 2023 को नया आदेश जारी किया. स्वैन ने फिर से हाईकोर्ट में सरकार के आदेश को चुनौती दी. जस्टिस सचिन दत्ता ने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार ने अदालत के स्पष्ट निर्देशों का पालन नहीं किया और केवल कानूनी प्रावधानों को दोहराने तक ही सीमित रही. कोर्ट ने कहा कि 30 जुलाई 2023 का आदेश रद्द किया जाता है. हालांकि अधिकारियों को नया कारण बताओ नोटिस जारी करने की स्वतंत्रता होगी. अब देखना होगा कि केंद्र सरकार आगे क्या कदम उठाती है. फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से अशोक स्वैन की भारत वापसी का रास्ता साफ हो गया है.
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